Blog postsFilmi shaayari ये दाग़ दाग़ उजाला Kannan Baskar December 10, 2018 0 Comments ये दाग़ दाग़ उजाला, ये शब-गज़ीदा सहर वो इन्तज़ार था जिस का, ये वो सहर तो नहीं ये वो सहर तो नहीं जिस की आरज़ू लेकर चले थे यार कि मिल जायेगी कहीं न कहीं फ़लक के दश्त में तारों की आख़री मंज़िल कहीं तो होगा शब-ए-सुस्त मौज् का साहिल कहीं तो जा के रुकेगा सफ़िना-ए-ग़म-ए-दिल Share this:TwitterFacebookWhatsAppEmailLike this:Like Loading... Related CategoriesBlog posts, Filmi shaayari